कभी लता तो कभी रफी साहब ने किया इनकार, फिर सामने आया किशोर कुमार का वो हुनर

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हमारे बाप-दादा अक्सर हमसे ये बात कहा करते हैं 'आज की पीढ़ी जो गाने सुनती है, ये भी कोई गाने हुए? अरे गाने तो हमारे जमाने में हुआ करते थे. मधुर संगीत, लिखे हुए बोल और सुर-ताल की समझ वाले गायक भला आज के समय में कहां देखने को मिलता है.' उनकी ये सब बातें हमारे दिल और दिमाग मैं बैठ जाती है. हम सोचते हैं कि जमाना बदल गया है, तो संगीत भी बदल गया है. नई तकनीक और ढंग से बनाया हुआ गाना आज की पीढ़ी को भाता है, लेकिन क्या सच में आज के समय के गानों की तुलना पुराने जमाने से करना ठीक है?

कितना भी कहा जाए लेकिन पुराने गानों के दौर की तुलना आज के समय से नहीं की जा सकती. उस दौर में कई ऐसे गायक पैदा हुए, जिन्होंने आज के समय के गायकों को कई मायनों में प्रेरित किया है. 'मोहम्मद रफी', 'मन्ना डे', 'मुकेश' 'लता मंगेशकर', 'आशा भोंसले', ये वो नाम हैं जिन्होंने उस सुनहरे दौर में अपनी आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. लोग आज भी इनके गाए हुए गानों के मुरीद हैं, लेकिन एक आवाज ऐसी थी जिसने हर प्रकार में लोगों का दिल जीता. वो आवाज थी किशोर कुमार की.

किशोर कुमार की खास बातें

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था. उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली है. उनका जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे कुल चार भाई-बहन थे जिसमें किशोर कुमार सबसे छोटे थे. उनके भाई अशोक कुमार एक अभिनेता भी थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों में काम किया हुआ है. किशोर दा खुद भी किसी कलाकार से कम नहीं थे. गायकी के अलावा वो फिल्मों में अभिनय और संगीत भी बनाया करते थे. किशोर कुमार ने अपने जीवन में कुल चार शादियां की थी और उससे उनके दो बेटे अमित कुमार और सुमित कुमार हैं.

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अनगिनत रिकॉर्ड और अवॉर्ड से सम्मानित किशोर कुमार ने अपने जीवन में 110 से भी ज्यादा संगीतकारों के साथ 2678 गाने गाए हैं जिनमें से कुछ गानों के लिए उन्होंने खुद संगीत बनाया है. किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर में सबसे ज्यादा गाने आर.डी.बर्मन के साथ रिकॉर्ड किए हैं. उन्होंने कुल 563 गाने आर.डी.बर्मन के संगीत पर गाए हैं. उन्होंने 40 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया हुआ है. उनकी फिल्में 'चलती का नाम गाड़ी', 'हाफ टिकट', 'पड़ोसन', 'नई दिल्ली' और भी बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जिसे लोग आज भी दिल भरकर देखते हैं. उनकी कॉमेडी और चुलबुले किरदार लोगों को खूब पसंद आए.

13 अक्टूबर 1987, यानी आज ही के दिन किशोर कुमार ने अपनी अंतिम सांस ली थी. इसी तारीख को उनके बड़े भाई अशोक कुमार का भी जन्मदिन होता है. किशोर कुमार को उनके चाहने वाले बखूबी जानते हैं लेकिन आज की पीढ़ी उनकी फनकारी से वांछित है. किशोर कुमार से जुड़े ऐसे अनगिनत किस्से और कहानियां है जो आज की युवा को उनकी महानता के बारे में बतलाएगी लेकिन आज हम उनके कुछ किस्सों का जिक्र करेंगे जिसने हम सभी को बताया कि आखिर क्यों किशोर दा इतने महान थे.

1. चलती का नाम गाड़ी फिल्म होती 'फ्लॉप'?

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एक समय था जब किशोर कुमार एक से बढ़कर एक प्रोजेक्टस पर काम कर रहे थे. उनका काम हिट होने लगा जिसकी वजह से उन्हें खूब सारा पैसा भी मिलने लगा. पैसे इतने कि उन्हें उसके लिए भारी टैक्स तक चुकाने की नौबत आन पड़ी थी. इसी टैक्स से बचने के लिए किशोर कुमार ने एक पैंतरा आजमाया. किशोर कुमार ने फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' अपने तीनों भाई अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ बनाई. वो चाहते थे कि उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट जाए ताकि उन्हें टैक्स ना भरना पड़े. लेकिन किस्मत को वो मंजूर नहीं था. फिल्म खूब चली भी और जहां भी लगी, उसने खूब कमाई भी की. अब सोचिए कि अगर वो टैक्स से बचने के लिए ये फिल्म नहीं बनाते, तो आज हिंदी सिनेमा को इतनी बेहतरीन फिल्म ना मिली होती.

2. खराब तबीयत के बावजूद गाया गाना

किशोर कुमार एक बार एक शो करने विदेश यात्रा पर गए. सिर्फ भारत में ही नहीं, उनकी फैन फॉलोइंग उस समय दुनिया के हर कोने में थी. वो शो के लिए पहुंचे जहां पर काफी भीड़ उमड़ पड़ी थी. लेकिन शो से कुछ समय पहले उनका गला खराब हो गया था. माना जा रहा था कि उनके गले से आवाज नहीं निकल पा रही थी और ऐसे में इतने बड़े क्राउड को संभालना भारी पड़ रहा था. अब किशोर कुमार को कलाकार ऐसे ही नहीं कहा गया है. उन्होंने स्टेज पर जाने का फैसला किया और अपने गाए हुए गानों को गाने लगे लेकिन एक अलग अंदाज में. वो अपने गानों के शब्दों को तोड़-तोड़कर गा रहे थे जिसे सुनकर उनके फैन्स वहां झूम रहे थे क्योंकि लोगों को ऐसा लग रहा था कि वो उनके लिए कुछ अलग कर रहे हैं.

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3. किशोर कुमार नहीं मोहम्मद रफी

1968 में आई राजेश खन्ना, शर्मिला टेगोर की सुपरहिट फिल्म 'आराधना' के गाने हम सभी को आज भी याद हैं. एस.डी.बर्मन और उनके बेटे आर.डी.बर्मन का संगीत फिल्म की कहानी में चार चांद लगा देता है. फिल्म में अधिकतर गाने किशोर कुमार ने ही गाए हैं, लेकिन क्या होता अगर सभी गाने मोहम्मद रफी ने गाए होते? दरअसल फिल्म 'आराधना' के समय संगीतकार एस.डी.बर्मन की तबीयत खराब हो गई थी जिसके बाद उनके बेटे आर.डी.बर्मन ने फिल्म के गानों के निर्माण का जिम्मा उठाया. फिल्म के कुछ गाने जैसे 'गुनगुना रहे हैं भंवरे' और 'बागों में बहार है' रफी साहब ने ही गाए हैं. माना जाता है कि अगर एस.डी.बर्मन की तबीयत ठीक होती तो फिल्म के बाकी सभी गाने भी रफी साहब ही गाते क्योंकि इससे पहले भी रफी साहब ने राजेश खन्ना के लिए गाने गाए थे. लेकिन शायद नियति को कुछ और मंजूर था, किशोर कुमार ने बाकी बचे फिल्म के सभी गानों को गाया और उसके बाद उनका करियर एक नए कीर्तिमान पर पहुंच गया.

4. एक ही गाने में गाया 'डूएट'

साल 1962 में आई फिल्म 'हाफ टिकट' में एक बहुत ही मजेदार गाना है जिसमे पहले लता मंगेशकर भी उनके साथ गाने वाली थीं. गाने का नाम था 'आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया'. ये गाना पहले डूएट में गाया जाने वाला था लेकिन किसी कारण वश लता जी ने गाने से इनकार कर दिया था. अब यहां किशोर दा को एक मौका मिलता है जिसे वो बड़ी सफाई से लपकते हैं. पूरे गाने को किशोर दा खुद गाते हैं लेकिन आवाज बदलकर. लड़का और लड़की दोनों के बोल वो इस तरह से गाते हैं मानो ऐसा लगता ही नहीं कि ये गाना किशोर दा ने अकेले गाया है. प्रान साहब के साथ फिल्माए इस गाने में किशोर दा लड़की के गैटअप में भी नाचते नजर आए थे. फिल्म को लोगों ने खूब पसंद भी किया था.

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किशोर कुमार का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे अधिक है जिसे आज भी उनके चाहने वाले अपनी पीढ़ियों को बताते हैं और बड़ा गर्व महसूस करते हैं. सच में अगर आज के जमाने में किशोर कुमार होते, तो वो सभी कलाकारों को पीछे छोड़ गए होते और दुनिया का हर वो अवॉर्ड, जो आज के समय में है उसे अपने नाम कर लिए होता. उनके योगदान को शब्दों से बयान करना शायद उनकी महानता को शोभा नहीं देगा, इसलिए हम सिर्फ उनके योगदान की सराहना कर उन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर याद कर सकते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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